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मुंशी प्रेमचंद की 'ईदगाह' में हामिद ने जहां खरीदा था चिमटा, वहां चला प्रशासन का बुलडोजर


गोरखपुर: मुंशी प्रेमचंद की जिस कालजयी रचना 'ईदगाह' का बच्‍चे, नौजवान और बुजुर्ग के दिलो-दिमाग पर आज भी गहरा असर है. उसी ईदगाह के सामने बंजर जमीन है और सरकार बहादुर के नाम से कागजात में दर्ज जमीन पर अवैध अतिक्रमण को जीडीए ने जिला प्रशासन के सहयोग से कब्‍जा मुक्‍त कर दिया. पिछले कुछ वर्षों से इस जमीन पर दुकानें और अस्‍थायी मंच बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया था. मुंशी प्रेमचंद ने ईदगाह कहानी में इसी जमीन पर लगने वाले मेले का जिक्र किया था. हामिद ने यहीं लगने वाले मेले से दादी के लिए चिमटा खरीदा था. गोरखपुर के बेतियाहाता स्थित नार्मल रोड पर दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद के सामने खाली जमीन पर कुछ वर्षों से बंजर जमीन पर अवैध रूप से दुकानें और अस्‍थायी मंच बना लिया गया था. ये वही जगह है जिसका जिक्र मुंशी प्रेमचंद ने 'ईदगाह' कहानी में लगने वाले मेला के रूप में किया था. पिछले कुछ वर्षों से इसका प्रयोग दुकानें और अस्‍थायी मंच के रूप में किया जा रहा था. इस जगह को लोहे की जाली से घेर भी लिया गया था.

*मुंशी प्रेमचंद पार्क को विस्‍तार देने की योजना*

जीडीए की टीम इस जगह पर बगल में स्थित मुंशी प्रेमचंद पार्क को विस्‍तार देने की योजना बना रही है. जिला प्रशासन ने एसडीएम सदर गौरव सिंह सोगरवाल और सिटी मजिस्‍ट्रेट अभिनव रंजन श्रीवास्‍तव की मौजूदगी में अतिक्रमण को हटाने के लिए जेसीबी लगवाई, तो दरगाह के आसपास के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई. जिस पर अभियान थोड़ी देर के लिए रुक गया. इसके बाद सीओ कोतवाली बीपी सिंह फोर्स के साथ पहुंचे तो दरगाह के आसपास के लोगों से जमीन का दस्तावेज मांगा गया. जिस पर जमीन का दस्तावेज प्रस्तुत न करने पर एसडीएम सदर के निर्देशानुसार जमीन पर किए गए अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया. इस जमीन पर अपना हक प्रस्तुत करने वाले एडवोकेट मोहम्मद सऊद ने कहा कि जिस जमीन पर कार्रवाई चल रही है, वो जमीन दरगाह मुबारक खान शहीद की है. यह जमीन एक काश्तकार की थी. जिनका नाम 1916 के अंग्रेजी शासन के बंदोबस्त में है. वह ऐसा बंदोबस्त है, जो हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के रिकार्ड में माना जाता है कि यह जमीन इनकी रही है. एडवोकेट मोहम्‍मद सऊद ने बताया कि 1986 या 1990 तक का रिकॉर्ड उनके पास है. लेकिन वर्तमान समय में वे उसे आज प्रस्तुत नहीं कर सके. उनके वरासत में उनके खानदान का नाम दर्ज हुआ. वो बाद में किसी त्रुटिवश बंजर में दर्ज हो गया. तो अब उस पर कार्यवाही चल रही है. दुरुस्त करने का समय नहीं मिल पाया. आज अचानक से यह लोग आए हैं. हमें मौका नहीं दिया गया है. आगे हम कानूनी अधिकार जो हमारे पास है, उसी के तहत काम करेंगे.

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