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दस दिन का अल्‍टीमेटम, मामला नहीं सुलझा तो ध्‍वस्‍त होंगे असुरन पोखरा में बनाए गए सभी मकान



असुरन पोखरा के दायरे में मकान बनाने वाले लोगों के सिर पर संकट के बादल अभी भी मंडरा रहे हैं। मकान ध्वस्त करने की तैयारी की जानकारी जैसे ही कालोनी के लोगों को मिली, वे एसडीएम/ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर गौरव सिंह सोगरवाल से मिलने पहुंचे। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने कालोनी के लोगों से कहा है कि यदि 29 जनवरी तक पोखरा के लिए जमीन नहीं मिलती है तो वहां बने मकानों को ध्वस्त कर दिया जाएगा।


मकान बनाने वाले लोगों ने एसडीएम से की मुलाकात


शहर में ताल एवं पोखरे की जमीन से कब्जा हटाने की कार्यवाही के दौरान कुछ दिन पहले तहसील की टीम ने असुरन पोखरे की भी पैमाइश की है।

इसमें यह बात सामने आयी कि 9.5 एकड़ क्षेत्रफल में से करीब पांच एकड़ पर मकान बन चुके हैं। मकान बनाने वाले लोगों को नोटिस देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सोमवार को मकान ध्वस्त करने की तैयारी का जैसे ही कालोनी के लोगों को पता चला वे एसडीएम सदर के कार्यालय पहुंच गए। उनके साथ जमीन बेचने वाले परिवार के सदस्य भी थे। सभी ने मामला हाईकोर्ट में लंबित होने एवं मंडलायुक्त की अध्यक्षता में करीब 10 साल पहले हुए एक समझौते के बारे में बताया।


करीब 10 साल पहले जमीन देने के आश्वासन पर कार्रवाई से बचे थे लोग


इस समझौते के अनुसार जमीन बेचने वाले परिवार ने कहीं और पोखरे के लिए जमीन देने को कहा था, इसी आधार पर उस समय राहत मिली थी। बातचीत के बाद एसडीएम ने पता किया तो यह बात सामने आयी कि अभी तक जमीन नहीं दी गई है। उन्होंने 29 जनवरी तक पोखरे के लिए करीब 3.5 एकड़ जमीन देने को कहा। जमीन बेचने वाले परिवार के सदस्य ने पोखरा के लिए जमीन देने को कहा है। 29 जनवरी तक जमीन न मिलने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।


पास हुए हैं नक्शे, हो रहे विकास कार्य


कालोनी में बने अधिकतर घरों के नक्शे गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) से पास कराए गए हैं। यहां नगर निगम की ओर से सड़क भी बनायी गई है। कालोनी के लोगों का दावा है कि 1952 के रिकार्ड में ही यह पोखरा है, 1948 या 1956 में यह पोखरे के रूप में दर्ज नहीं है। बैंक से ऋण भी मिला है। कालोनी के लोगों के अनुसार आज भी वहां करीब डेढ़ करोड़ रुपये के विकास कार्य चल रहे हैं। अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं कि कौन सा क्षेत्र पोखरे के दायरे में है। उन्होंने सवाल उठाया है कि जब मामला लंबित होने के कारण खरैया पोखरे के क्षेत्रफल को खाली कराने की कार्यवाही रोकी गई तो हाईकोर्ट में मामला लंबित होने पर यहां बुलडोजर कैसे चल सकता है।


असुरन पोखरे के क्षेत्र में मकान बनाने वाले लोग मिलने आए थे। उन्होंने मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुए एक समझौते का हवाला दिया, जिसमें पोखरे के बदले उन्हें जमीन देनी थी। 29 जनवरी तक जमीन उपलब्ध कराने को कहा गया है, यदि जमीन नहीं मिली तो कार्रवाई होगी। - गौरव सिंह सोगरवाल, एसडीएम/ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर

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