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Kumbh 2021 कड़ी परीक्षा के बाद इस तरह बनते हैं नागा साधु, कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं?



सबसे बड़े धार्मिक मेले कुंभ का हरिद्वार में आयोजन हो रहा है. मकर सक्रांति से शुरू हुए कुंभ का आयोजन अप्रैल के आखिरी तक होगा और लाखों लोग कुंभ में स्नान करने पहुंचेंगे. कुंभ के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा नागा साधुओं की होती है. नागा साधुओं के स्नान की वजह से ही शाही स्नान काफी खास महत्व रखता है. जब भी नागा साधुओं की बात होती है तो कई तरह के सवाल भी दिमाग में आते हैं कि आखिर नागा साधु कैसे बनते हैं और यह कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं और भी बहुत कुछ.


अगर आपको भी इन सवालों के जवाब जानने में दिलचस्पी है तो आप यह पूरा आर्टिकल पढ़कर नागा साधुओं के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं. वैसे तो सब जानते हैं कि नागा साधु वो होते हैं, जिनके काफी बड़े-बड़े बाल होते हैं और वो निर्वस्त्र रहते हैं और उनके शरीर पर हर तरफ भस्म लगी रहती है.

नागा साधुओं के बारे में इतने सारे तथ्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ऐसे में आज उन तथ्यों में से कुछ जानने की कोशिश करते हैं…लेकिन नागा साधुओं के बारे में इतने सारे तथ्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ऐसे में आज उन तथ्यों में से कुछ जानने की कोशिश करते हैं…


कैसे अलग होते हैं?


नागा साधु, कई मायनों में दूसरे साधुओं से अलग होते हैं. सामान्य साधु आपको कहीं भी दिख जाते हैं और उनका रहन-सहन का तरीका भी नागा साधुओं से काफी अलग होता है. नागा साधु पूरी तरह से इस भौगोलिक संसार से दूर रहकर तपस्या करते हैं और अलग ही जीवन यापन करते हैं. यहां तक कि वो कपड़े भी नहीं पहनते हैं और खुद ही मरणोपरांत होने वाले क्रियाक्रम पहले कर देते हैं, जिसमें पिंडदान आदि शामिल है. साथ ही वो कड़ी परीक्षा और लंबे प्रोसेस के बाद नागा साधु बनते हैं.


कैसे बनते हैं नागा साधु?


नागा साधु बनने के लिए एक पूरी प्रोसेस होती है और इसमें कई चरण पार करने के बाद एक व्यक्ति नागा साधु बनता है. यह प्रक्रिया कई सालों तक चलती है और उसके बाद किसी अखाड़े द्वारा उन्हें नागा साधु माना जाता है. इस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं, जिन्हें तहकीकात, महापुरुष, अवधूत, लिंग भंग या टांग तोड़ आदि नाम दिए गए हैं.


इसमें सबसे पहले तहकीकात की प्रक्रिया होती है, जिसे एक दाखिले की तरह माना जा सकता है. इसमें पहले नागा साधु बनने के इच्छुक व्यक्ति की अखाड़ें में एंट्री होती है और जांच पड़ताल की जाती है. इसमें एक प्रोसेस के तरह अखाड़े के लोग यह तय करते हैं कि यह नागा साधु बन सकता है या नहीं. उसके बाद उन्हें अखाड़े में शामिल किया जाता है और कई सालों तक उन्हें साधुओं के साथ तपस्या करनी होती है.


कई साल तक तपस्या करने के बाद जब अब वो नागा साधु बनने के लिए तैयार होते हैं. इसके बाद उनकी कई स्तर पर परीक्षा होती है. इस दौरान उनके तप, त्याग आदि की जांच की जाती है. पहले की प्रक्रिया ब्रह्मचर्य होती है, इसके बाद उन्हें महापुरुष बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में उन्हें रुद्राक्ष आदि दिया जाते हैं, जो अक्सर नागा बाबा के शरीर पर दिखाई देते हैं. इसके बाद अवधूत प्रोसेस से गुजरना पड़ता है, जिसमें उन्हें बाल कटवाने पड़ते हैं और खुद का ही पिंडदान करना पड़ता है. ऐसे में वो अपने परिवार और संसार के लिए मृत हो जाते हैं और फिर वो भगवान में लग जाते हैं. इसके बाद एक प्रक्रिया होती है, जो अखाड़े में लगे एक खंभे के नीचे होती है.


इसी प्रक्रिया में कई रिवाज पूरे किए जाते हैं, जिसमें लिंग भंग की प्रक्रिया भी होती है. इसके बाद उन्हें वासना आदि से मुक्त कर दिया जाता है और उनके लिंग को एक तरह से निष्क्रिय कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद नागा साधु बनते हैं और कुंभ के दौरान ही कई गुरुओं द्वारा नागु साधु बनाया जाता है.


कुंभ के बाद कहां चले जाते हैं?


नागा साधु हमेशा तपस्या में लीन होते हैं. वे साधना के लिए कंदराओ में चले जाते हैं. इसमें भी कई तरह के नागा साधु होते हैं और जगह के नाम पर उनके नाम होते हैं. जैसे पर्वतों में रहने वाले नागा साधुओं को गिरि, नगर में रहने वाले साधुओं को पुरी, जंगल में रहने वाले साधुओं को अरण्य कहा जाता है. यह अलग-अलग जगहों पर रहते हैं.

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