मलेशिया में इन दिनों बहुत से घरों के बाहर सफेद झंडा लहराता दिख रहा है. ये उस देश का झंडा नहीं, बल्कि एक खास मकसद से फहराया जा रहा है. दरअसल कोरोना के कारण देश में हालात काफी बुरे हैं और सख्त लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में रोजगार बंद होने के कारण लोगों के घरों में खाने-पीने का सामान तक नहीं. यही लोग अपने घर के बाहर सफेद झंडा फहरा देते हैं. ये एक तरह से मदद की मांग है. इसे वाइट फ्लैग कैंपेन (White Flag Campaign) भी कहा जा रहा है. मलेशिया इस समय बुरी तरह कोरोना की गिरफ्त में मंगलवार को यहां 7 हजार से ज्यादा मामले मिले, जो बीते महीनेभर में सबसे ज्यादा है. राजधानी कुआलालंपुर में 15 सौ से ज्यादा मामले दिखे. ताजा संक्रमणों की बड़ी संख्या और बढ़ती मौतों के कारण घबराई हुई सरकार ने देश में सख्त लॉकडाउन लगा दिया. ये तो हुए मलेशिया में कोरोना संक्रमण के हालात लेकिन इसका सफेद झंडे से बड़ा कनेक्शन है. सफेद झंडे का कोरोना कनेक्शन पिछले सप्ताह इसकी शुरुआत हुई. इसके तहत कहा गया कि जो लोग खाने की तंगी या फिर किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हों, वे अपने घर के बाहर सफेद झंडा लगाएं. ये झंडा कोई भी सफेद कपड़ा भी हो सकता है. इसे देखते ही आसपास के लोगों से लेकर सोशल संस्थाएं सतर्क हो जाएंगी और मदद लेकर उस घर तक पहुंचेगी. चूंकि लॉकडाउन में अत्यावश्यक कामों को छोड़कर बाहर निकलना मना है, लिहाजा ये मदद काफी काम की साबित हो रही है. इसके अलावा एक SOS एप भी बना इस एप के जरिए मलेशिया में उन फूड बैंकों का पता लग सकता है जो मुफ्त में पौष्टिक खाना पहुंचाते हैं. केवल सामाजिक संस्थाएं ही नहीं, बल्कि मलेशिया में पेनेंग प्रांत के मछुआरे भी लोगों की मदद को आए. वे ताजा मछलियां जरूरतमदं लोगों तक पहुंचा रहे हैं ताकि पोषण मिलता रहे. लेकिन ये सारी मदद उनको ही मिलती है, जो अपने घर के बाहर सफेद झंडा लहराएं. ऐसे में जिस किसी को भी परेशानी आ रही है, वह अपने घर के बाहर सफेद रंग का झंडा लहरा रहा है. सफेद झंडा ही क्यों? इसके पीछे इस रंग का इतिहास है. आज तक सफेद रंग शांति और युद्धविराम की तरह उपयोग होता रहा. अगर कोई सफेद झंडा फहराए तो इसका मतलब है कि उसपर आक्रमण नहीं करना है, बल्कि शांति से उसकी बात सुननी है. मलेशिया में सफेद झंडा लोग अपनी जरूरत को दिखाने के लिए अपना रहे हैं. मलेशिया में काला झंडा भी लहराया जा रहा है ये एक अभियान का रूप ले चुका, जिसमें लोग सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा जता रहे हैं. वे मौजूदा प्रधानमंत्री मोहिउद्दीन यासीन को सत्ता छोड़ने को कह रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने न्यू स्ट्रेट टाइम्स के हवाले से बताया कि पुलिस अब पड़ताल कर रही है कि कहीं काला झंडा लहराकर किसी दंगे की योजना तो नहीं बनाई जा रही. काले झंडे के अलावा पुलिस को सफेद झंडा लहराते लोगों पर भी शक है. बोर्नियो पोस्ट नाम की वेबसाइट ने बताया कि कैसे मदद के लिए सफेद झंडा लहराते लोग अब अपनी छतों से झंडा उतार रहे हैं ताकि पुलिस उनपर कोई कार्रवाई न करे. इनके अलावा रेड फ्लैग मूवमेंट भी चल रहा है सफेद झंडे जैसे ही काम करता है, यानी खाने-पीने की कमी से जूझ रहे लोगों की मदद करने का. लेकिन यहां फर्क ये है कि लाल झंडा लहराने और मदद मांगने की इजाजत केवल मलेशियाई लोगों को है. बाहर से आकर बसे लोग लाल झंडा नहीं फहरा सकते, बल्कि मदद के लिए उन्हें सफेद ही झंडा लहराना होगा. वैसे लाल झंडा पालतू जानवरों की मदद के मकसद से शुरू हुआ. मलेशियाई एनिमल एसोसिएशन इसके तहत उन परिवारों की सहायता कर रहा है, जो कोरोना के कारण आई पैसों की तंगी के चलते अपने जानवरों को खिला-पिला नहीं पा रहा.
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