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NASA ने 60 साल पहले महिला होने की दी थी 'सजा', अब 82 की उम्र में अंतरिक्ष की सैर कर इतिहास रचेंगी



वैली फंक (Wally Funk) ने जो सपना 60 साल पहले देखा था, वो अब साकार होता नजर आ रहा है. 1961 में नासा (NASA) ने उनके सपने को चकनाचूर कर दिया था. वो भी सिर्फ इस वजह से क्योंकि वह महिला थीं. मगर अब 82 साल की उम्र में वह अरबपति जेफ बेजोस (Jeff Bezos) के साथ अंतरिक्ष की सैर करने जाएंगी. अरबपति जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) ने गुरुवार को यह घोषणा करते हुए कहा कि इस महीने पहली अंतरिक्ष यात्रा में 82 साल की वैली फंक भी साथ होंगी. ब्लू ओरिजिन इस महीने अपने साथ इंसानों को लेकर अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले हैं. 20 जुलाई को जेफ बेजोस, उनके भाई और एक अन्य शख्स अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे. उन्हीं के साथ वैली फंक भी होंगी. 1960 में अंतरिक्ष जाने के प्रोग्राम का हिस्सा थीं 1960 में नासा के अंतरिक्ष जाने वाले कार्यक्रम की पहली महिला थीं. दरअसल वैली फंक 60 साल पहले ही अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली थीं. साल 1961 में NASA ने एक कार्यक्रम तैयार किया था. फंक भी Mercury 13 कार्यक्रम में शामिल थीं. अंतरिक्ष में जाने के लिए उन्हें खास ट्रेनिंग भी दी गई. वह इस टीम की पहली महिला और सबसे युवा सदस्य थीं. मगर 1960-61 में सिर्फ महिला होने की वजह से उन्हें इस प्रोग्राम से हटा दिया गया. स्पेस जाने वाली सबसे बुजुर्ग 20 जुलाई को जब वह जेफ बेजोस के न्यू शेपर्ड लॉन्च (New Shepard Launch) में बैठकर स्पेस के लिए रवाना होंगी, तो वह इतिहास रच देंगी. अंतरिक्ष जाने वाली वह सबसे बुजुर्ग शख्स होंगी. फंक नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड की पहली महिला इंस्पेक्टर थीं. इसके अलावा वह गुडविल एंबेसेडर भी हैं. एविएशन के क्षेत्र में उनका काफी नाम है. उन्होंने 19.6 हजार घंटे फ्लाइट पर बिताएं हैं. यही नहीं वह 3000 से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं. जेफ बेजोस, उनके भाई, वैली फंक के अलावा एक और शख्स स्पेस के लिए रवाना होगा, जिसने सीट के लिए 28 मिलियन डॉलर (करीब 208 करोड़ रुपये) का भुगतान किया है. 11 मिनट का सफर जेफ बेजोस ने वैली फंक को साथ ले जाने की घोषणा करने के साथ एक वीडियो भी साझा किया. इस वीडियो में फंक कहती दिख रही हैं, 'मैं आपसे आगे निकलकर दौड़ सकती हूं.' Blue Origin का New Shepard यान अंतरिक्ष में करीब 11 मिनट की उड़ान भरेगा. पृथ्वी की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी के बाद काल्पनिक सीमा तक पहुंचने के बाद कैप्सूल बूस्टर से अलग हो जाएगा और फिर से वायुमंडल में प्रवेश करेगा. बाद में पैराशूट की मदद से वह धरती पर लौट आएगा.

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