राफेल सौदे की फ्रांस में जांच शुरू, देश की बड़ी हस्तियों से हो सकती है पूछताछ
- bharat 24
- Jul 13, 2021
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BHARAT24. राफेल सौदे (Rafale Fighter Jet) से जुड़ा विवाद फिर से चर्चा में है. फ्रांस में भारत को 36 राफेल फाइटर प्लेन बेचे जाने के मामले में भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों की न्यायिक जांच शुरू हो गई है. फ्रांसीसी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए एक जज को इस बेहद संवेदनशील सौदे की जांच का जिम्मा सौंपा है, जो सौदे में भ्रष्टाचार (Corruption) और पक्षपात के आरोपों की जांच करेंगे. फ्रांसीसी खोजी वेबसाइट मीडियापार्ट ने यह रिपोर्ट देते हुए कहा है कि इस मामले में देश की बड़ी हस्तियों से पूछताछ की जा सकती है. भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के राफेल जंगी विमानों के सौदे के समय राष्ट्रपति रहे फ्रांस्वा ओलांद और मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी पूछताछ की जा सकती है. मैक्रों सौदे के वक्त वित्त मंत्री थे, ऐसे में उनके कामकाज को लेकर सवाल किए जाएंगे. वहीं, तत्कालीन रक्षा मंत्री और अब फ्रांस के विदेशी मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियान से भी पूछताछ हो सकती है. मीडियापार्ट के मुताबिक, इस न्यायिक जांच के आदेश फ्रांस की राष्ट्रीय वित्तीय अभियोजक (पीएनएफ) के दफ्तर ने दिए थे. क्या है आरोप? आरोप ये है कि राफेल फाइटर प्लेन बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन ने भारत से ये कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए किसी मध्यस्थ को रिश्वत के तौर पर मोटी रकम दी. ऐसे में फ्रांस में जांच कमेटी ये पता लगा रही है कि ये पैसा भारतीय अधिकारियों तक पहुंचा था या नहीं. 2019 में दी गई थी पहली शिकायत, पीएनएफ प्रमुख ने दबा दी मीडियापार्ट के पत्रकार यैन फिलिपपिन ने राफेल सौदे को लेकर एक के बाद एक कई रिपोर्ट दी थी. इसमें दावा किया गया था कि इस मामले में पहली शिकायत 2019 में दी गई थी, मगर तत्कालीन पीएनएफ प्रमुख एलियने हाउलेते ने इस शिकायत को दबा दिया था. यैन ने ट्वीट कर यह जानकारी देते हुए कहा, 'मीडियापार्ट की राफेल पेपर्स नाम से शुरू किए गए खुलासों के बाद आखिरकार न्यायिक जांच शुरू हो गई. अब पीएनएफ के नए प्रमुख जीन फ्रैंकोइस बोहर्ट ने जांच का समर्थन करने का फैसला किया है.' ये है पूरा मामला? भारत की एनडीए सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसॉ एविएशन से 59,000 करोड़ रुपये का करार किया था. इस सौदे से सात साल पहले कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए गठबंधन सरकार ने वायुसेना के लिए 126 मध्यम बहुआयामी युद्धक विमानों की खरीद के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था, मगर योजना परवान नहीं चढ़ सकी. कांग्रेस ने सरकार पर इस सौदे को लेकर अनियमितता के आरोप लगाए थे. पार्टी का कहना था कि यूपीए सरकार द्वारा एक राफेल की कीमत 526 करोड़ रुपये तय करने के बावजूद एनडीए सरकार ने एक विमान को 1,670 करोड़ में खरीदा. हालांकि, इस सौदे में धांधली के आरोपों को सिरे से नकार चुकी है.
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