मध्य प्रदेश की जिस अर्चना से प्रधानमंत्री ने की थी बात, वह पति के इलाज में हुई कर्जदार
- bharat 24
- Jul 6, 2021
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्वालियर की जिस अर्चना शर्मा से ऑनलाइन बात कर उसे अपना काम शुरू करने की बधाई दी थी, वह पति के इलाज के कारण कर्जदार हो गई है। पति की बीमारी में एक लाख रपये खर्च हो गए और आयुष्मान कार्ड होते हुए भी सिर्फ 27 हजार रपये का लाभ मिला। अर्चना अब कर्ज की रकम वापस मांगने वालों से परेशान है। उसने आर्थिक सहायता के लिए जिला प्रशासन से भी गुहार लगाई, पर एक रपये की मदद किसी से नहीं मिली। अर्चना ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत चाट का ठेला लगाकर रोजगार की शुरआत की थी। तब प्रधानमंत्री ने नौ सितंबर 2020 को अर्चना से बात की थी। उन्होंने कहा था कि वे ग्वालियर आएंगे तो अर्चना के हाथ से बनी टिक्की खाएंगे। पति राजेंद्र शर्मा को आंत संबंधी बीमारी होने के कारण अर्चना को चार महीने ठेला बंद रखना पड़ा। पहले सरकारी अस्पतालों में प्रयास किया, लेकिन इलाज नहीं मिला। मजबूरन शहर के एक निजी अस्पताल में पति को भर्ती कराया और दो ऑपरेशन कराए। आयुष्मान कार्ड था, लेकिन 27 हजार रपये का ही लाभ मिल सका। परेशान अर्चना ने कर्ज लिया और इलाज के एक लाख रपये चुकाए। अब गुजारा मुश्किल हजीरा क्षेत्र में इंद्रा नगर में करीब 20 दिन पहले ही अर्चना ने दोबारा चाट का ठेला लगाना शुरू किया है। वे खुद ठेले पर रहती हैं और दोपहर से लेकर रात तक काम करती हैं। उन्होंने बताया कि करीब तीन सौ रपये रोज ठेले से आते हैं, इसमें गुजारा ही मुश्किल है। अब रोटी खाएं या कर्जा चुकाएं। पति के इलाज के कारण कर्जदार हो गई हूं। प्रशासन से भी आर्थिक सहायता मांगी थी लेकिन नहीं मिली। प्रधानमंत्री ने कहा था - आयुष्मान में लाभ न मिले तो सीधे मुझे चिट्ठी लिखना? अर्चना ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब उनसे बात की थी तो पति की बीमारी बताई थी। उन्होंने आयुष्मान कार्ड के बारे में पूछा था और कहा था कि कोई परेशानी आए तो सीधे मुझे चिट्ठी लिखना। अर्चना ने उन्हें चिट्ठी भी भेजी, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। आयुष्मान योजना में निर्धारित बीमारी का पैकेज होता है और तय राशि से ज्यादा अस्पताल भी नहीं ले सकता है। लाभ लेने वाले का न के बराबर ही खर्च आता है। अर्चना शर्मा के केस में रिकॉर्ड दिखवाते हैं, उन्हें क्यों कम लाभ मिला? - आशीष तिवारी, अपर कलेक्टर व नोडल अधिकारी, आयुष्मान योजना (ग्वालियर)
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