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मकर संक्रांति पर इन चीजों का दान होता है सौ गुना फलदाई, हिन्‍दु धर्म में है विशेष महत्‍व




पर्वों की धरती भारत में मकर संक्रांति का विशेष महत्‍व है. हिन्‍दु धर्म में सदियों से मनाए जा रहे इस पर्व को दान-पुण्‍य और शुभ के आरंभ का प्रतीक माना गया है. आम भाषा में कहा जाता है कि दान देने से लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं. वहीं धार्मिक मान्‍यताओं में कहा गया है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान मनुष्‍य को सौ गुना ज्‍यादा पुण्‍य प्रदान करता है. ऐसे में यह दिन विशेष है.


हिंदु पंचांग और ज्‍योतिषियों के अनुसार हर साल ही 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व होता है. इस दिन सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होता है यानि सूर्य उत्‍तरायण होना शुरू हो जाता है और देवताओं की रात्रि छंट जाती है व शुभ दिनों की शुरुआत हो जाती है.

यही वजह है कि इस दिन किए गए पुण्‍य कर्म, जप-तप और दान सर्वश्रेष्‍ठ होता है.


*ये चीजें कर सकते हैं दान*


आज के दिन तिल, गुड़, मंगफली, चना, दाल और चावल का विशेष महत्‍व है. इस दिन तिल और मूंगफली से बनी गजक, तिलकुटटी, तिलपटटी, चावल, दाल, खिचड़ी, गुड़, कंबल-रजाई, गर्म कपड़े, फल फलादि दान करने से अभीष्‍ट फल मिलता है.


*उत्‍तर भारत में दान का ऐसा रिवाज*


मान्‍यता है कि उत्‍तर भारत में सुबह स्‍नान आदि के बाद लोग दान की जाने वाली चीजों को एक साथ रखकर, उनपर जल के छींटे मारकर और मन में दान का भाव पैदा करते हैं और सामान को गरीबों के साथ ही अपने मानपक्ष के लोगों, बड़ों के साथ ही बेटियों-बहनों को ये सभी चीजें देकर आर्शीवाद लेते हैं. कहा जाता है कि जो व्‍यक्ति पूरे साल दान नहीं करता वह अगर इस दिन करता है तो उसका फल भी पूरे साल मिलने वाले फल से ज्‍यादा होता है.


इसके अलावा गांवों और शहरों में इस दिन के लिए तमाम नए रिवाज भी बनाए हुए हैं. इस दिन खासतौर पर महिलाएं श्रंगार के 14 सामान मन्‍सने के साथ ही अपनी सास-ननद के प्रति आभार व्‍य‍क्‍त करते हुए अगले साल तक एकनिष्‍ठ होकर व्रत या संकल्‍प उठाती हैं और सालभर उस व्रत-संकल्‍प का पालन करने के साथ ही अगले साल उसका दान देकर पारायण करती हैं.


*ये है संक्रांति का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व*


वैसे तो हिन्‍दुओं के सभी त्‍यौहार न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक रूप से ही बनाए गए हैं लेकिन संक्रांति का खास महत्‍व है. जनवरी में पड़ने वाली ठंड के दौरान गर्म चीजों का सेवन करना चाहिए. ऐसे में इस दिन दान की जाने वाली सभी चीजें गर्म होती हैं साथ ही मौसम के अनुकूल भी होती हैं. वहीं खिचड़ी सुपाच्‍य होती है. चिकित्‍सा विज्ञान भी कहता है कि तिल और गुड़ आदि का सेवन इस मौसम से बेहतर कभी नहीं हो सकता.


इसके अलावा इस समय नदियों में वाष्‍पीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और नदियों का जल शुद्ध हो जाता है. लिहाजा इस दौरान किया जाने वाला स्‍नान स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक होता है. इसलिए मकर संक्रांति पर स्‍नान करने की भी मान्‍यता है. चूंकि इस दिन से सूर्य उत्‍तरायण होता है और दिन के समय में वृद्धि हो जाती है जो शुभ का परिचायक है. अंधकार कम होने लगता है और प्रकाश बढ़ता है.

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