'मोदी सरकार की कोशिशों से FATF की ग्रे सूची में शामिल हुआ पाकिस्तान'
- bharat 24
- Jul 18, 2021
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रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल किए जाने का श्रेय नरेंद्र मोदी सरकार को दिया. जयशंकर ने मोदी सर
कार की विदेश नीति पर बीजेपी नेताओं के ट्रेनिंग प्रोग्राम (BJP leaders’ training program) को संबोधित करते हुए कहा कि देश के पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखने की कोशिश करते हुए यह सुनिश्चित किया गया है कि आतंकवाद को वैश्विक मुद्दे के रूप में देखा जाए, न कि केवल कुछ देश के लोगों द्वारा सामना की जाने वाली समस्या के रूप में. मालूम हो कि विदेश मंत्री इस ट्रेनिंग कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंचों पर सरकार के प्रयासों के कारण ही आज जैश और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. वहीं अपने पड़ोसी देशों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने के प्रयास किया है. विदेश मंत्री ने सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने G7 या G20 जैसी अंतर्राष्ट्रीय बैठकों के माध्यम से आतंकवाद को वैश्विक चिंता का विषय बनाना सुनिश्चित किया. FATF आतंकवाद के फंडिंग पर नियंत्रण रखता है जयशंकर ने कथित तौर पर नेताओं से कहा “FATF जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आतंकवाद के लिए फंडिंग पर नियंत्रण रखता है और आतंकवाद का समर्थन करने वाले काले धन से निपटता है. हमारे प्रयासों के कारण ही पाकिस्तान अब एफएटीएफ की नजर में है और इसे ग्रे लिस्ट में रखा गया है. उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान पर दबाव बनाने में सफल रहे हैं और तथ्य यह है कि पाकिस्तान का व्यवहार बदल गया है. साथ ही लश्कर और जैश के आतंकवादी भी भारत के प्रयास के कारण प्रतिबंधों के तहत आ गए हैं. आतंकवाद हर किसी की समस्या सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान पीएम की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “जी20 या जी7 जैसे मंचों पर किए गए पीएम के व्यक्तिगत प्रयासों ने राष्ट्रों को एहसास कराया कि आतंकवाद केवल एक देश की नहीं बल्कि हर किसी की समस्या है.” सूत्रों की माने को उन्होंने कहा कि भारत ने सुनिश्चित किया कि दुनिया को आतंकवाद के बारे में चिंतित होना चाहिए और अन्य देशों को आतंकवाद को कुछ देशों की घरेलू समस्या या विशेष राष्ट्रों की कानून व्यवस्था की समस्या के रूप में देखना बंद कर देना चाहिए.”
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