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बड़ा हादसा होते- होते टला! विश्व धरोहर कुतुबमीनार की टूटी दीवार


विश्व धरोहर कुतुबमीनार में मंगलवार शाम को एक बडा हादसा होने से बच गया, हालांकि इस हादसे में कुतुबमीनार परिसर को काफी नुकसान पहुंचा है लेकिन किसी भी पर्यटक के साथ कोई अप्रिय घटना नहीं घटी है। दरअसल कुतुबमीनार की बाहरी दीवार जोकि करीब 15 फुट ऊंची है दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के नाले से पानी रिसने के चलते अचानक 90 फीसदी टूट गई। इस दौरान सैंकड़ों की संख्या में कुतुब परिसर के भीतर पर्यटक भी मौजूद थे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारी ने बताया कि बीते ढाई साल से कुतुबमीनार की अलाई दरवाजे के पीछे की ओर वाली एनक्लोजर वॉल यानि बाहरी दीवार कमजोर होती जा रही थी। जिसकी वजह इस दीवार के पीछे अवैध पार्किंग के नीचे एक नाले का इस दीवार के साथ सटकर बहना है। एएसआई के अधिकारियों का कहना है कि एसडीएमसी के कर्मचारियों द्वारा कुतुबमीनार की दीवार में जगह-जगह छेद कर दिया गया है इन छेदों के द्वारा नाले का पानी कुतुब परिसर के भीतर लगातार आ रहा था। बारिश के मौसम में यह पानी ओर भी अधिक तेजी से दीवार से निकलता था। जिससे दिन-प्रतिदिन दीवार कमजोर हो रही थी। इस मामले को कई बार लिखित तौर पर एसडीएमसी के संज्ञान में लाया गया लेकिन उन्होंने समस्या का निदान नहीं किया। जिसकी वजह से मंगलवार को दीवार गिर गई। यदि समय रहते नाले की सुध एसडीएमसी ले लेती तो इस नुकसान से बचा जा सकता था। ऐसे में एएसआई संरक्षित विश्व विख्यात धरोहर को काफी नुकसान पहुंचा है। एएसआई अधिकारी का कहना है कि अभी भी इसकी जानकारी एसडीएमसी व एसडीएम महरौली को दी गई है। क्या कहते हैं एसडीएम महरौली: इस बाबत पूछे जाने पर एसडीएम महरौली डॉ. अतुला पांडे ने कहा कि कुतुबमीनार की बाहरी दीवार के टूटने का मामला फिलहाल उनके संज्ञान में नहीं आया है। क्या कहते हैं एसडीएमसी मेयर: मेयर मुकेश सूर्यान ने कहा कि यदि एएसआई द्वारा लगातार एसडीएमसी को पत्र लिखकर जानकारी दी गई है और उसकी अनदेखी हुई है तो वो इस मामले की जांच करवाएंगे और एक्शन लेंगे।-

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