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बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था: मोदी




दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे पर ढाका पहुंचे पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले सावर स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक का दौरा किया और 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटियों को गांधी शांति पुरस्कार सौंपा। पीएम मोदी ने कहा कि यह हमारे लिये गर्व की बात है कि हमें शेख मुजीबुर रहमान को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का अवसर मिला।


आतंकवाद का किया जिक्र


पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि व्यापार और उद्योग में जहां समान अवसर हैं, वहीं आतंकवाद में समान चुनौतियां भीं हैं।

पीएम मोदी ने कहा, 'यह मेरी जिंदगी के सबसे यादगार दिनों में से एक है। मैं आभारी हूं कि बांग्लादेश ने इस आयोजन में मुझे शामिल किया। कोविड के दौरान दोनों देशों ने मिलकर काम किया। भारत इस बात से खुश है कि 'भारत में निर्मित' टीके का इस्तेमाल बांग्लादेश में लोगों के इलाज में हो रहा है।'


बांग्लादेश के लिए किया सत्याग्रह


बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना, मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। आज भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों की सरकारें इस संवेदनशीलता को समझकर, इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रही हैं। हमने दिखा दिया है कि आपसी विश्वास और सहयोग से हर एक समाधान हो सकता है। हमारा Land Boundary Agreement भी इसी का गवाह है।


पीएम मोदी ने कहा, 'यहां के लोगों पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार हमें व्यथित कर देता था, कई दिनों तक इन तस्वीरों ने हमें सोने नहीं दिया। बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम को समाज के हर वर्ग से समर्थन प्राप्त हुआ। तत्कालीन पीएम श्रीमति इंदिरा गांधी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है।'

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