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ड्रोन खतरे के बाद सीमा पार से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक तकनीक का भी हो सकता है इस्तेमाल: अमि


नई दिल्ली: देश के गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि ड्रोन के खतरे के बाद निकट भविष्य में सीमा पार से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक तकनीक का भी इस्तेमाल हो सकता है. इसके लिए देश की सीमा-सुरक्षाबलों को चौकस रहना होगा और दीर्घकालिक नीति तैयार करनी होगी. गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को राजधानी दिल्ली में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के 18वें अलंकरण समारोह के दौरान सीमा-प्रहरियों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना समेत दो गृह राज्यमंत्री, नित्यानंद स्वामी और अमित मिश्रा के अलावा आईबी डायरेक्टर, अरविंद कुमार और रॉ चीफ, सामंत गोयल भी मौजूद थे. हाल के दिनों में जम्मू एयर स्टेशन और सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमलों का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि ड्रोन के खिलाफ हमारी मुहिम बेहद जरूरी है. डीआरडीओ और दूसरी स्वदेशी संस्थाएं इस पर काम कर रही है. ड्रोन विरोधी स्वदेशी प्रणाली जल्द सीमा पर तैनाती होंगी, ऐसा मेरा विश्वास है. गृह मंत्री के मुताबिक, एंटी-ड्रोन तकनीक के लिए लगातार हेकथॉन सीरिज आयोजित की जानी चाहिए. गृह मंत्री अमित शाह ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों और उनके परिवार को संबोधित करत हुए कहा कि पहले हमारी कोई स्वतंत्र रक्षा नीति नहीं थी. वो हमेशा विदेश नीति से प्रभावित रहती थी या फिर विदेश नीति रक्षा नीति पर ओवरलैप करती थी. लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद हमने एक नई रक्षा नीति तैयार की. इसके तहत हम सभी देशों के साथ शांति तो चाहते हैं लेकिन अगर कोई हमारी सीमाओं को छेड़ेगा या फिर संप्रुभता को चुनौती देगा तो रक्षा नीति की प्राथमिकता होगी कि उसे उसकी ही भाषा में जवाब देंगे. गृह मंत्री ने कहा कि देश को एक अच्छी रक्षा नीति की जरूरत थी, जो पीएम मोदी ने दी. इससे ही लोकतंत्र पनप सकता है और देश का विकास होगा. अमित शाह ने कहा कि हमने इस रक्षा नीति को जमीन पर उतारने का काम किया. इसके लिए कोई उदाहरण देने की जरूरत नहीं है, सब भलीभांति जानते हैं. गृह मंत्री ने मोदी सरकार के पिछले छह साल में सीमावर्ती इलाकों में किए गए विकास-कार्यों की तुलना पिछली सरकार के कार्यकाल से करते हुए आंकड़े पेश किए. बजट बढ़ाया अमित शाह के मुताबिक, वर्ष 2008-2014 के बीच करीब 3600 किलोमीटर का सड़क निर्माण-कार्य किया गया, जबकि वर्ष 2014-20 के बीच 4764 किलोमीटर का निर्माण हुआ. सीमावर्ती सड़कों का बजट भी इस अवधि में 23 हजार करोड़ से बढ़कर 47 हजार करोड़ हो गया. यूपीए का नाम लिए बगैर अमित शाह ने कहा कि 2008-14 के बीच करीब 7000 मीटर पुलों का निर्माण हुआ था जबकि पिछले छह सालों में ये निर्माण दोगुना यानी 14000 मीटर हो गया. उन्होंने कहा कि यहां तक की 2008-14 में सीमा पर केवल एक सुरंग का निर्माण हुआ था, जबकि 2014-20 के बीच छह सुरंगों का निर्माण किया गया, जबकि कई सुरगें निर्माणधीन हैं. गृह मंत्री ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर वर्ष 2008-14 के बीच महज 230 किलोमीटर लंबी सड़क की कटिंग और फॉर्मेटिंग का काम हुआ जबकि मोदी सरकार के 2014-20 के बीच कार्यकाल में 470 किलोमीटर का काम हुआ है. सीमा सुरक्षा नीति गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद हमें 15 हजार किलोमीटर का लैंड बॉर्डर और करीब 07 हजार किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा मिली थी. ऐसे में बहुत जरूरी था कि सीमा सुरक्षा नीति बनाई जाती. लेकिन एक लंबे समय तक इसकी अनदेखी की गई. अटल बिहारी वाजपेयी साहब के समय में एक स्ट्रक्चर सीमा-नीति बनी, जिसके तहत 'वन बॉर्डर वन फोर्स' को लागू किया गया. उन्होनें कहा कि पीएम मोदी ने बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को वरीयता दी. अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि वर्ष 2022 तक सभी सीमाओं पर जितनी भी फैंसिंग यानी तारबंदी में गैप्स यानी खाली जगह हैं, वे सभी भर दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि इन गैप्स के चलते बॉर्डर फैंस का कोई मतलब नहीं है और घुसपैठिए इन गैप्स का फायदा उठाकर घुसपैठ आसानी से कर लेते हैं. गृह मंत्री ने कहा कि जिस देश की सीमाएं सुरक्षित होती हैं, वही राष्ट्र सुरक्षित रहता है. ड्रोन, सुरंग, मानव तस्करी, पशु-तस्करी, नार्कोटिक्स हमारे देश के सामने चुनौती हैं लेकिन हमें देश-विरोधी तत्वों से दो कदम आगे रहना है‌. गृह मंत्री अमित शाह ने विज्ञान भवन में अलंकरण समारोह में बीएसएफ के बहादुर जवानों को सम्मानित भी किया. अमित शाह ने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को वे सैल्यूट करते हैं क्योंकि बीएसएफ के नाम मात्र से दुश्मन हिल जाते हैं. कार्यक्रम के दौरान बीएसएफ के महानिदेशक ने सीमा-बल की उपलब्धियों को गिनवाते हुए ड्रोन के हमले से निपटने, मादक-पदार्थों की तस्करी और घुसपैठ को नाकाम करने पर जोर दिया. अस्थाना ने बांग्लादेश के निर्माण में बीएसएफ के अहम योगदान का भी जिक्र किया और बताया कि किस तरह 1971 के युद्ध से पहले बीएसएफ ने बांग्लादेश की मुक्ति में सहायक मुक्ति-यौद्धाओं को मिलिट्री-ट्रैनिंग दी थी. बीएसएफ डीजी ने गृह मंत्री को आश्वसान दिया कि देश विरोधी तत्वों के खात्मे के लिए सभी सीमा-प्रहरी अपने प्राण भी न्यौछावर कर सकते हैं.

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