top of page

चमोली आपदाः बिगडा अलकनंदा का पारिस्थितिकी तंत्र, लाखों मछलियां मरीं



जनपद चमोली के ऋषिगंगा व धौलीगंगा में आई जलप्रलय ने अलकनंदा नदी के जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी बिगाड़ दिया है। पानी के तेज बहाव व मलबे से यहां मिलने वाली मत्स्य प्रजातियों की लाखों मछलियां मर गई है।

नदी किनारे कई जगहों पर मरी हुई मछलियों के ढेर लगे हुए हैं। वन्य जीव वैज्ञानिकों ने भी इस पर चिंता जताते हुए कहा कि नदी के जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को अपने मूल स्वरूप में आने में लगभग दो वर्ष लग सकते हैं।




बीते 7 फरवरी को ऋषिगंगा के ऊपरी तरफ ग्लेशियर टूटने से बर्फ, मिट्टी व पानी का सैलाब धौलीगंगा से होते हुए तेज गति से अलकनंदा नदी में पहुंचा। इस नदी का पानी ठंडा व साफ है, लेकिन सैलाब के कारण पानी का तापमान बढ़ने के साथ ही वह गादयुक्त भी हो गया था। इससे यहां मिलने वाली स्नो ट्राउट, महाशीर, पत्थरचट्टा, गारा समेत कई मत्स्य प्रजातियों की लाखों मछलियों मर गई है।

विष्णुप्रयाग, पीपलकोटी, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग व रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी किनारे मरी मछलियों के ढेर से तबाही का अंदाजा लगाया जा सकता है।


भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की शोधार्थी भावना धवन का कहना है कि अलकनंदा का पानी ठंडा व साफ है, जिस कारण यहां स्नो ट्राउट व महाशीर की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन जैसे ही नदी में अधिक वेग से मलबा व पानी पहुंचा तो मछिलयों का दम घुटने लगा और उनकी मौत हो गई।

इस घटना से अलकनंदा नदी में 20 से अधिक मत्स्य प्रजातियां व्यापक रूप से प्रभावित हुई हैं। साथ ही नदी का जलीय पारिस्थितिकी तंत्र भी बिगड़ गया है, जिसे अपने मूल रूप में आने में लगभग दो वर्ष का समय लग सकता है। इधर, रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ वैभव कुमार सिंह ने बताया कि मरी मछलियों के फोटो भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों को भेज दिए गए हैं।

コメント


SHINOVATE OPC PVT. LTD.

  • Facebook
  • YouTube
  • Twitter

©2020 by Bharat 24. Proudly created with Wix.com

bottom of page