BHARAT24 कानपुर में रहने वाले कुछ कबाड़ियों के पास 3-3 कारें हैं। यह खुलासा बिग डेटा सॉफ्टवेयर, आयकर विभाग और जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच में हुआ है। इस जांच के मुताबिक कानपुर में 250 से ज्यादा कबाडियों, पान, खस्ते, चाट, समोसे और सब्जी-फल बेचने करोड़पति हैं। इनके पास सैकड़ों बीघा कृषि जमीन है। लेकिन ये लोग न तो आयकर के नाम पर एक पैसा टैक्स दे रहे हैं न ही जीएसटी। आपको बता दें कि देखने में 'गरीब' दिखने वाले छुपे धन्नासेठों पर आयकर विभाग की लंबे समय से खुफिया नजरें थीं। केवल इनकम टैक्स देने वाले और रिटर्न भरने वाले करदाताओं की मानीटरिंग के अलावा गली मोहल्लों में धड़ल्ले से मोटी कमाई कर रहे ऐसे व्यापारियों का डेटा भी विभाग लगातार जुटा रहा है। अत्याधुनिक टेक्नोलाजी ने खुफिया करोड़पतियों को पकड़ना शुरू कर दिया है। जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर इन व्यापारियों ने एक पैसा टैक्स का नहीं दिया लेकिन चार साल में 375 करोड़ रुपए की प्रापर्टी खरीद ली। ये संपत्तियां आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड, गुमटी जैसे बेहद महंगे कामर्शियल इलाकों में खरीदी गईं। दक्षिण कानपुर में रिहायशी जमीनें भी खरीदीं। 30 करोड़ से ज्यादा के केवीपी खरीद डाले। 650 बीघा कृषि जमीन के मालिक भी ये बन गए। ये जमीनें कानपुर देहात, कानपुर नगर के ग्रामीण इलाकों, बिठूर, नारामऊ, मंधना, बिल्हौर, ककवन, सरसौल से लेकर फरुखाबाद तक खरीदी गईं हैं। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जब अकूत कमाई हो रही हो तो निवेश के रास्ते हर व्यक्ति तलाशता है। चूंकि ठेले-खोमचे वालों का लाइफस्टाइल बेहद सादा होता है इसलिए उनके खर्च सीमित और बचत ज्यादा होती है। पैसा किसी विभाग के नजरों में न आ पाए इसके लिए उन्होंने चालाकी तो दिखाई लेकिन गच्चा खा गए। नज़र से बचने के लिए सहकारी बैंकों और स्माल फाइनेंस में खाते खुलवाए। प्रापर्टी में ज्यादातर निवेश भाई, भाभी, चाचा, मामा और बहन के नाम किया गया है लेकिन पैन कार्ड अपना लगा दिया। केवल एक प्रापर्टी में पैन कार्ड और आधार आते ही पूरा कच्चा चिट्ठा खुल गया।
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