उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लेते हुए ऐलान कर दिया कि 1 जुलाई से चारधाम यात्रा को आंशिक रूप से शुरू कर दिया जाएगा. अभी के लिए कुछ जिलों के लोगों को ही यात्रा करने की अनुमति रहेगी. लेकिन इस फैसले के बाद से ही फिर तीरथ सरकार विवादों में फंसती दिखाई दे रही है. जिस फैसले पर सरकार ने मुहर लगाई है, उसको लेकर नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को काफी लताड़ पड़ी है.
तीरथ सरकार की चार धाम यात्रा को हरी झंडी
हाई कोर्ट ने अभी हाल ही में सरकार से चारधाम यात्रा को लेकर कई सवाल पूछे थे और कुंभ से लेकर अनेक आयोजनों से देश में फैले कोरोना का भी उदाहरण सामने रखा था. डेल्टा के नए वेरिएंट पर भी चिंता जाहिर की गई थी. ऐसे में कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ऐसी परिस्थितियों में चारधाम यात्रा का शुरू होना कहा तक उचित है?
अब शुक्रवार को हुई अहम बैठक के बाद ये साफ हो गया है कि उत्तराखंड सरकार ने कोर्ट की दलीलों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है. उनकी तरफ से मन बना लिया गया है कि इस साल एक जुलाई से चारधाम यात्रा को शुरू किया जाएगा.
इन शर्तों का करना होगा पालन
बताया गया है कि सीमित संख्या के साथ चारधाम यात्रा खुलेगी, लेकिन शुरुआत में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही जाने की मंजूरी रहेगी. वहीं यात्रा के लिए तमाम तरह की व्यवस्था करने के लिए सरकार द्वारा एक वरिष्ठ अधिकारी की भी नियुक्ति कर दी गई है. इसके अलावा कोविड की निगेटिव रिपोर्ट और टीकाकरण को भी अनिवार्य कर दिया गया है.
ऐसे में बिना टीका यात्रा करने की अनुमति नहीं मिलने जा रही है. अभी के लिए सरकार ने जरूर चारधाम यात्रा को हरी झंडी दिखाई है, लेकिन कुंभ आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को कई बार निशाने पर लिया गया था.
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