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आपातकाल की 46वीं बरसी पर अमित शाह का लेख- तानाशाही मानसिकता के चलते देश में लगी थी इमरजेंसी




नई दिल्ली. गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के मुताबिक तानाशाही मानसिकता के चलते देश में इमरजेंसी लगी थी. उन्होंने ये बातें आपातकाल की 46वीं बरसी (46th Anniversary of Emergency) के मौके पर लिखे एक लेख में कही है. अमित शाह ने लिखा है कि इमरजेंसी लगाकर देश की सदियों पुरानी लोकतांत्रिक परंपरा का मजाक बनाया गया. इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आपातकाल के उन 'काले दिनों' को कभी नहीं भूला जा सकता, जब संस्थानों को सुनियोजित तरीके से ध्वस्त कर दिया गया था. बता दें कि देश में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच 21 महीने तक आपातकाल लागू किया गया था. इंदिरा गांधी उस समय देश की प्रधानमंत्री थीं. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में अमित शाह ने लिखा है, '46 साल पहले भारत के इतिहास का एक काला अध्याय लिखा गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सत्तावादी अहंकार के चलते देश के सदियों पुराने लोकतंत्र का मजाक उड़ाते हुए देश पर आपातकाल लगाया था. ये कांग्रेस की वंशवादी राजनीति का जीता जागता उदाहरण था.'


कांग्रेस की तानाशाही


शाह ने आगे लिखा है, 'आजादी के बाद से ही लोकतंत्र की परंपरा का निर्वाह कांग्रेस ने ठीक से नहीं किया. महात्मा गांधी के हत्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक का नाम लाया गया, इसके बाद भारतीय जनसंघ के फाउंडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की बातों को भी दबाने की कोशिश की गई. ये तानाशाही की शुरुआत थी जो इमरजेंसी में आगे चलकर तब्दील हुई. इमरजेंसी के वक्त जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई अटल बिहारी वाजपेई और एलके आडवाणी को जेल में डाल दिया गया. उस वक्त के सारे अखबार कांग्रेस के माउथपीस बन गए. इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया था.'



पीएम मोदी ने किया बदलाव

अमित शाह के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी के आने के बाद देश में तेज़ी से बदलाव हो रहा है. उन्होंने लिखा है, 'पीएम मोदी के नेतृत्व में वंशवाद की राजनीति को खत्म कर दिया गया और बीजेपी ही ऐसी पार्टी है जो काबिलियत के बल पर अपने कार्यकर्ताओं और काडर को बढ़ावा देती है. पिछले 7 सालों से एनडीए सरकार ने लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने में हर संभव कदम उठाया है. लोकतंत्र के हर पहलू जिसमें न्यायपालिका और मीडिया शामिल है वह आज के दौर में पूरी तरीके से स्वतंत्र हैं. जबकि कांग्रेस के जमाने में हमेशा इनको दबाने की कोशिश की जाती थी'.


सबको बराबर मौके

शाह ने आगे लिखा है, 'हमेशा सबको बराबर का मौका देने की नियत से यह सरकार काम कर रही है. सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट औरत धारा 370 को हटाना उस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कदम है. यह भारत के नागरिकों के अधिकार की रक्षा करते हैं जबकि कांग्रेस सरकार इनका विरोध कर रही है. कांग्रेस ने इसका सबसे बड़ा उधारण उस वक्त पेश किया जब संसद में बिना चर्चा कराए आंध्र प्रदेश को विभाजित किया. आज भारत का हर नागरिक से सतर्क है और सजग है जिससे इमरजेंसी जैसे हालात हमारे देश में कभी नहीं आएंगे.'

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