top of page

Ram Setu: क्या वानर सेना ने बनाई थी राम सेतु? पानी के नीचे चलेगी रिसर्च और सारे रहस्य आएंगे बाहर




#रामसेतु जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर '#एडेम्सब्रिज' के नाम से जाना जाता है, उसके बारे में कौन नहीं जानता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथ #रामायण के अनुसार यह एक ऐसा पुल है, जिसे भगवान राम की वानर सेना द्वारा भारत के दक्षिणी भाग रामेश्वरम पर बनाया गया था, जिसका दूसरा किनारा वास्तव में श्रीलंका के मन्नार तक जाकर जुड़ता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब लंकापति रावण मां सीता का हरण कर लंका ले गया था तो तब #भगवानराम की वानर सेना ने समुद्र के बीचोंबीच एक पुल का निर्माण किया था जिसे रामसेतु कहा जाता है।


*रिसर्च शुरू*


इस सेतु को लेकर समय-समय पर सवाल भी उठते रहे हैं।

बीच समुद्र में मौजूद इस पुल को कब और कैसे बनाया गया था, इसके साइंटिफिक जवाब जानने के लिए अब भारतीय पुरातत्व विभाग (#ASI) ने एक विशेष अनुसंधान यानि रिसर्च शुरू किया है जिसके तह समुद्र के नीचे एक परियोजना संचालित की जाएगी जिसमें वैज्ञानिक भी हिस्सा लेंगे। वैज्ञानिकों की मानें तो इसके जरिए उन्हें रामायण काल के बारे में और अधिक जानकारी हासिल हो सकती है।


*ऐसे होगी रिसर्च*


टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एसआई) ने इस सर्वे को हरी झंडी दे दी है। एसआई के सेंट्रल एडवायजरी बोर्ड ने *सीएसआईआर* -नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी, गोवा द्वारा इसे अंजाम दिया जाएगा। पर्यावरणीय डेटा के जिरए इस सेतु का अध्ययन किया जाएगा। इस रिसर्च के लिए एनआईओ की तरफ से सिंधु संकल्‍प या सिंधु साधना नाम के जहाजों को उपयोग में लाने जाने का प्रस्ताव है जो पानी के अंदर जाकर आसानी से नमूने एकत्र करेंगे।


*समय समय पर उठते रहे हैं सवाल*


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे #करुणानिधि ने भगवान राम और रामसेतु के बारे में विवादित बयान देते हुए कहा था, 'क्या राम इंजीनियर थे जो उन्होंने पुल बनाया था। राम नाम के किसी व्यक्ति का अस्तित्व नहीं है।' यही नहीं वर्ष 2007 में यूपीए सरकार के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वे (#एएसआई) ने अपने हलफनामे में रामायण के पौराणिक चरित्रों के अस्तित्व को ही नकार दिया था। इसके बाद विवाद बड़ा तो सरकार को सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा फेश करना पड़ा था।


*ऐसी है मान्यता*


ऐसी मान्यता है कि इस पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था वह पत्थर पानी में फेंकने के बाद समुद्र में नहीं डूबे। बल्कि पानी की सतह पर ही तैरते रहे। ऐसा क्या कारण था कि यह पत्थर पानी में नहीं डूबे? कुछ लोग इसे धार्मिक महत्व देते हुए #ईश्वर का चमत्कार मानते हैं। कहते हैं कि यह विशाल पुल वानर सेना द्वारा केवल 5 दिनों में ही तैयार कर लिया गया था। कहते हैं कि निर्माण पूर्ण होने के बाद इस पुल की लम्बाई 30 किलोमीटर और चौड़ाई 3 किलोमीटर थी।

Comentarios


SHINOVATE OPC PVT. LTD.

  • Facebook
  • YouTube
  • Twitter

©2020 by Bharat 24. Proudly created with Wix.com

bottom of page