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Eta Aquarids Meteor Shower: गुरुवार को आसमान से होगी सितारों की बारिश, रात में दिखेगा दिन जैसा नजारा




अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया है कि इस हफ्ते गुरुवार को आसमान से सितारों की बारिश देखने को मिलेगी। इस दौरान रात के समय हर घंटे लगभग 20 सितारे टूटते हुए नजर आएंगे। दरअसल, गुरुवार को एटा एक्वारिड्स उल्का बौछार गुरुवार को अपने चरम पर रहेगा। यह बौछार 1986 में हेली धूमकेतु के छोड़े गए मलबे के पास से धरती के गुजरने के कारण हो रही है। जिसकी स्पीड अभी धीमी है, लेकिन गुरुवार को यह सबसे ज्यादा होगी।


6 मई की रात को दिखेगा अद्भुत नजारा


नासा ने बताया कि 6 मई की रात को दुनियाभर के कई देशों में आसमान से तारों की बारिश को देखा जा सकता है। इस घटना को शनिवार तक छिटपुट तरीके से देखा जा सकता है। नासा ने कहा कि सितारों की इस बरसात को देखने के लिए आपको किसी दूरबीन की जरूरत नहीं होगी, हालांकि लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है। इसलिए, रात के समय खुले आसमान के नीचे बैठने का कुछ अच्छा विकल्प तलाश लें।


बिना दूरबीन के देखा जा सकता है सितारों की बारिश


इस बौछार को दक्षिणी गोलार्ध में सबसे अच्छा देखा जा सकता है। हालांकि, यह धरती के अधिकतर हिस्सों में भी दिखाई देगी। नासा का कहना है कि उल्का बौछार को देखने का सबसे अच्छा तरीका बिना किसी उपकरणों के देखना है। आप बस किसी अंधेरे जगह को चुन लें और वहां से साफ आसमान की तरफ देखें।


हर साल अप्रैल और मई में दिखता है यह नजारा


एटा एक्वारिड्स का नाम एक्वेरियस (कुंभ) नक्षत्र के नाम पर रखा गया है। यह हर साल हर अप्रैल और मई से गिरते दिखाई देते हैं। उत्तरी गोलार्ध के के लोगों के लिए आकाश में चमक बहुत अधिक नहीं होगी, इसलिए इन्हें दक्षिण दिशा में क्षितिज पर देखना चाहिए। वहीं, दक्षिणी गोलार्ध में रहने वाले लोगों को सितारों की यह बौछार काफी चमकीली दिखाई देगी।

लंबी पूछ के साथ दिखेगी उल्कापिंडों की बारिश

नासा ने अपनी बेवसाइट पर लिखा कि कुंभ का नक्षत्र एटा एक्वारिड्स की चमक दक्षिणी गोलार्ध में ज्यादा साफ दिखेगी। इस दौरान ये आसमान में लंबी पूंछ के साथ रोशनी फैलाते हुए दिखाई देंगे। रॉयल म्यूजियम ग्रीनविच के अनुसार, आपको सबसे अच्छे तरीके से देखने के लिए स्ट्रीट लाइट और प्रकाश से दूर हटकर किसी सुरक्षित और अंधेरे स्थान को ढूंढना चाहिए।


इसलिए हर साल देते हैं दिखाई


उल्कापिंड वे टुकड़े होते हैं जो प्रति घंटे 148,000 मील तक की गति से वायुमंडल में प्रवेश करते हैं। धरती के वायुमंडल के साथ घर्षण के कारण बर्फ, भाप और चट्टान से बने ये पिंड रोशनी की लकीर छोड़ते हुए दिखाई देते हैं। इनके पैदा होने का प्रमुख कारण धरती के किसी बड़े धूमकेतु के रास्ते से गुजरना होता है। ये धूमकेतु काफी समय पहले गुजरते हुए अपने पीछे छोटे-छोटे टुकड़े छोड़ते जाते हैं। इसलिए, हर साल तारों की ये बरसात एक निश्चित तिथि पर दिखाई देती है।

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