top of page

CRPF में अंग्रेजी मानसिकता वाला ड्रेस कोड खत्म, अब सिपाही से लेकर अफसर तक पहनेंगे एक जैसी पोशाक



देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ में अंग्रेजी मानसिकता वाला ड्रैस कोड बदल गया है। अब सिपाही से लेकर अफसर तक, सभी कार्मिक एक जैसी पोशाक पहनेंगे। गर्मियों में पीटी के दौरान या खेलों के आयोजन के लिए सभी कर्मी काले रंग के शॉर्ट्स व नीले रंग की राउंड नेक टी-शर्ट के ड्रेस कोड में रहेंगे। महिला अधिकारी और जवान काले रंग की ट्रैक पैंट और नीले रंग की राउंड नेक टी-शर्ट पहनेंगी।


इसी तरह सर्दियों के लिए भी अलग से ड्रेस कोड जारी किया गया है। सर्दियों में नीले रंग का ट्रैक सूट व नीले रंग की टोपी रहेगी। अगर ज्यादा सर्दी है तो इस टोपी की बनावट ऐसी होगी कि जिससे सिर और कान कवर हो सकें।

सर्दी में नीले रंग की जैकेट और विंडशीटर पहनी जा सकता है। ड्रेस का फैब्रिक पॉलिएस्टर या कॉटन वाला रहेगा। जूतों का रंग, यह भी बदल गया है। अब सभी कर्मी नीले व काले रंग के जूते पहनेंगे। काले व नीले रंग का वैरिएशन भी चल सकता है।


बता दें कि आंतरिक सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ भारत संघ का प्रमुख केंद्रीय पुलिस बल है। यह सबसे पुराना केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बल (अब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में जानते हैं) में से एक है। इस बल को 1939 में क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था। क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस द्वारा भारत की तत्कालीन रियासतों में आंदोलनों एवं राजनीतिक अशांति तथा साम्राज्यिक नीति के रूप में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में लगातार सहायता करने की इच्छा के मद्देनजर, 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मद्रास संकल्प के मद्देनजर बल की स्थापना की गई। आजादी के बाद 28 दिसम्बर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल कर दिया गया था। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की बदलती जरूरतों के अनुसार इस बल के लिए एक बहुआयामी भूमिका की कल्पना की थी।


अंग्रेजी शासन के दौरान नीचे के अधिकारी और कर्मी हॉफ पैंट पहनते थे, जबकि बड़े अफसर फुल पैंट पहनते थे। उस वक्त अंग्रेज अफसरों के मन में यह भावना रहती थी कि उनमें और नीचे के भारतीय अधिकारियों में एक दूरी बनी रहे। उनकी अलग पहचान बनी रहे। यानी वे अंग्रेज अधिकारियों जैसे न दिखें। बाद में पीटी या खेलों के दौरान यह नियम बना दिया गया कि सीआरपीएफ के बड़े अधिकारी 'जीओ' जो टोपी पहनेंगे, उस पर अशोक स्तंभ रहेगा। बाकी बचे कार्मिकों की टोपी पर सीआरपीएफ का मोनोग्राम लगेगा।


एक रिटायर्ड अधिकारी बताते हैं कि ये सब खुद को अफसर दिखाने के लिए किया गया था। कुछ समय बाद आला अफसरों ने अपनी टोपी का रंग बदल लिया था। उस वक्त आईपीएस नीली टोपी पहनते थे, वही टोपी दूसरे अधिकारी भी पहनने लगे। सिपाही और हवलदार खाकी रंग की टोपी पहनते थे। चूंकि सीआरपीएफ, कश्मीर, नक्सल और उत्तर पूर्व के जोखिम भरे इलाकों में भी ऑपरेशन करती है, इसलिए वहां अलग रंग वाली टोपी किसी बड़े खतरे को न्यौता दे सकती थी। नतीजा, छोटे-बड़े सभी कार्मिकों की टोपी का रंग नीला कर दिया गया।


मौजूदा समय में जीओ यानी राजपत्रित अधिकारी पीटी के दौरान सफेद शॉर्ट्स, सफेद शर्ट स्लीव रोल्ड अप या सफेद टी-शर्ट पहनते हैं। इनके साथ सफेद रंग के जूते और सफेद जुराब पहनना अनिवार्य है। एसओ यानी सबऑर्डिनेट अफसर भी सफेद रंग की शॉर्ट्स और सफेद रंग की ट्वील हाफ स्लीव शर्ट पहनते हैं। सफेद रंग के कैनवस शूज व सफेद जुराबें पहनी जाती हैं। अंडर ऑफिसर और सिपाहियों के लिए रेजिमेंटल मुफ्ती यानी ड्रेस का जो रंग तैयार किया गया था, उसके मुताबिक सफेद पैंट, सफेद शर्ट ट्वील व कैनवस शूज पहनने होते हैं। ग्राउंड पर इन कर्मियों को खाकी पैंट, सफेद रंग की टी शर्ट, खाकी शॉर्ट्स और कॉटन वेस्ट पहननी पड़ती है।


अब नए आदेशों के मुताबिक सीआरपीएफ में पीटी या खेलों के लिए सभी कार्मिकों की एक जैसी ड्रेस रहेगी। सीआरपीएफ के एक अधिकारी बताते हैं कि ड्रेस के बारे में कोई फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय ले सकता है। बल का एक्ट एवं दूसरे नियम संसद द्वारा पारित किए गए हैं, इसलिए उनमें बदलाव का अधिकार गृह मंत्रालय के पास है। कोरोना काल में यह आदेश जारी होने का मतलब कुछ समझ नहीं आ रहा। अगर एक ड्रेस तैयार होने पर कम से कम दो हजार रुपये लगते हैं तो सवा तीन लाख कार्मिकों की पोशाक तैयार होने के खर्च का अंदाजा लगाया जा सकता है।

Comments


SHINOVATE OPC PVT. LTD.

  • Facebook
  • YouTube
  • Twitter

©2020 by Bharat 24. Proudly created with Wix.com

bottom of page