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Budget Session of Parliament : हंगामेदार बजट सत्र में विपक्षी करेंगे राष्‍ट्रपति अभिभाषण का बहिष्कार




संसद के बजट सत्र के पहले ही दिन से कृषि सुधार कानूनों के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तलवारें खिंची दिखाई देंगी। कांग्रेस की अगुआई में 16 विपक्षी दलों ने किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए शुक्रवार को राष्ट्रपति के संसद के संयुक्त संबोधन का बहिष्कार करने का एलान किया है। विपक्षी एकजुटता प्रदर्शित करते हुए इन पार्टियों ने गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिसा में केंद्र सरकार की भूमिका की स्वतंत्र जांच की मांग भी की है। उधर आम आदमी पार्टी और अकाली दल ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने 16 विपक्षी पार्टियों के साझा फैसले की घोषणा की। कांग्रेस के अलावा राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने वाली प्रमुख पार्टियों में तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, माकपा, भाकपा और राजद शामिल हैं। इनके अलावा नेशनल कांफ्रेंस, आइयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, केरल कांग्रेस एम और एआइयूडीएफ जैसी छोटी पार्टियां भी अपना दम-खम दिखाएंगी।


राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा और लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक के.सुरेश ने विपक्षी दलों के इस फैसले को लेकर एक संयुक्त बयान भी जारी किया।


संयुक्त बयान में रैली के दौरान हुई हिसा की निदा करते हुए पुलिस के घायल जवानों के प्रति सहानुभूति जताई गई। कहा गया कि किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की मंशा से इस कृत्य को अंजाम दिया गया। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।


उधर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिह ने भी राष्ट्रपति के संबोधन का अपनी पार्टी की तरफ से बहिष्कार करने की घोषणा की। आप व अकाली दल हालांकि विपक्ष की संयुक्त रणनीति का हिस्सा नहीं हैं लेकिन इन दोनों पार्टियों को मिला कर बहिष्कार करने वाले दलों की संख्या 18 हो गई है।


विपक्ष को एकजुट करने की इस पहल की कमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद संभाली थी। शरद पवार, सीताराम येचुरी और ममता बनर्जी से लेकर विपक्ष के कई नेताओं से उन्होंने सीधे बात की। वहीं गुलाम नबी आजाद और जयराम रमेश ने भी कांग्रेस नेतृत्व के इन प्रयासों में अपनी भूमिका निभाई। इस मुहिम में कांग्रेस ने बसपा प्रमुख मायावती से संपर्क करना मुनासिब नहीं समझा।


हालांकि विपक्षी खेमे ने यह संकेत जरूर दिया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने के अलावा विपक्ष के सांसद दोनों सदनों की बैठक में न केवल शामिल होंगे बल्कि अहम मुद्दों पर बहस में आक्रामक तरीके से सरकार की घेरेबंदी करेंगे।

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