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Bharat24: देश के 14 कॉलेज क्षेत्रीय भाषाओं में कराएंगे बीटेक


अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ( ) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए कॉलेजों को क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग डिग्री प्रदान करने की अनुमति दे दी है। जिसकी उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी तारीफ की। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि मुझे खुशी है कि एआईसीटीई ने नई शिक्षा नीति के तहत बीटेक प्रोग्राम को 11 क्षेत्रीय भाषाओं (हिंदी, मराठी, तमिल, तेलगू, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, बंगाली, असमी, पंजाबी और उड़िया) में कराने की अनुमति दी है। 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज ये बीटेक प्रोग्राम इस अकादमिक सत्र से पेश करेंगे। उपराष्ट्रपति के इस बयान पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उनका आभार प्रकट किया है। 43 प्रतिशत मातृभाषा में करना चाहते हैं अध्ययन दरअसल, एआईसीटीई ने इस वर्ष की शुरुआत में अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग छात्रों का एक सर्वेक्षण कराया था। जिसमें 43.79 फीसद छात्रों ने कहा है कि अवसर मिलने पर वे क्षेत्रीय भाषाओं में अध्ययन करना चाहेंगे। यह सर्वेक्षण देशभर के कुल 83,195 छात्रों पर किया गया था। एआईसीटीई के सर्वेक्षण के अनुसार, तमिल, हिंदी और तेलुगु में क्रमश: 12,487, 7,818 और 3,991 छात्र पढ़ना चाहते हैं। समिति ने क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन का विकल्प देने का दिया सुझाव सर्वेक्षण के बाद, तकनीकी शिक्षा को मातृभाषा में प्रदान करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। प्रो. प्रेम व्रत की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की कि छात्रों को एनआईटी/आईआईटी और एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित संस्थानों में क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने के लिए विकल्प उपलब्ध कराए जाने चाहिए। 14 कॉलेज देंगे क्षेत्रीय भाषा में पढ़ने का विकल्प देश के आईआईटीज कई कारणों का हवाला देते हुए क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम देने पर अभी सहमत नहीं हुए हैं। लेकिन 8 राज्यों के कुल 14 कॉलेजों ने क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग कार्यक्रम पेश करने में रुचि व्यक्त की है। इन कार्यक्रमों में बीटेक कम्प्यूटर साइंस, आईटी, मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। अंग्रेजी विषय लेना होगा जरूरी हालांकि क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ने वाले छात्रों के लिए अंग्रेजी विषय लेना अनिवार्य होगा। ताकि वे अंग्रेजी भाषा में आवश्यक कौशल हासिल कर सकें और दुनिया के किसी भी हिस्से में रोजगार पाने में सक्षम हों।

 
 
 

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